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मानव धर्म

Samajik Vedna
Samajik Vedna
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मेरी आत्मा कहती है,मुझसे बार-बार।
मान मिले ज्ञान प्रतिभा को बारम्बार।।
जो झुकता है लोभ में , मरता हजार बार।
सत्य की जीत हो,अधर्म का नाश हो।।
मनुज नतमस्तक हो,जब प्रतिभा सम्मुख हो।
सत्य का अभिनन्दन वन्दन नमन हो।।
धर्म वही , जिससे मानव कल्याण हो।
धार्मिक कर्मकाण्ड का सम्पादन है समुचित।
जो आदिशक्ति के प्रति करे श्रद्धा विकसित।
आज धर्मगुरु कहलाते भगवान स्वयं को।
आदिशक्ति ने बनाया , सिर्फ माध्यम आपको।।
अगर मान लो माध्यम , अपने आप को।
धन्य हो जायेगी आत्मा , गर्व होगा आपको।।

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