Menu
blogid : 15128 postid : 602321

क्या भारती भाषा (हिन्दी भाषा)सम्मानजनक रूप में मुख्य धार में ला ई जा सकती है

Samajik Vedna
Samajik Vedna
  • 30 Posts
  • 68 Comments

क्या भारती भाषा (हिन्दी भाषा)सम्मानजनक रूप में मुख्य धार में ला ई जा सकती है

भारती भाषा (हि्दी भाषा)राण्ट्रभाषा का स्थान नहीं प्राप्त कर पाई है। अर्थात सम्पूर्ण देश हिन्दी भाषीक्षेत्र नहीं है। यह बड़ दुःख की बात है। हिन्दी भाषा बहुत सरल भाषा है। इसका विस्तार भी कमनही है। इसका इतिहास वैदिक काल से है। वैदिक काल में हिन्दी मूलतः प्राचीन कुरू-पंचाल जनपदों की भाषाथी। मुस्लिम आक्रमणकारियों ने कुरू-पंचाल की भाषा को हिन्दी नाम दिया। आक्रमण कारी (ईरानी)सिंधुनदी घाटी को हिन्द कहते थे। बाद में भारत के अनय भागों को भी हिन्द नाम से जनने लगे। जब भारत में मुस्लिम सत्ता स्थापित हुई तो दिल्ली और आस-पास के क्षेत्र की भाषा को हिन्दी कहा जाने लगा। वैदिक युग में कुरू-पंचाल के भरतों की संतानें, उनकी उनक भाष और संस्कृति को भारती के नाम से जाना जात था। उत्तर भारत में परस्पर सम्पर्क सरल होने के कारण एक बड़े भू-भाग पर कुरू-पंचाली भाषा का सर्वमान्य भाषा के रूप में विकास हुआ। बौद्धों ने पश्चिमोत्तर भारत तथा दक्षिणापथ में मध्यदेशीय हिन्दी का प्रचार-प्रसार किया। हिन्दी क्षेत्र -उत्तर में हिमालय का पर्वतीय प्रदेश,उत्तर भारत का मैदान, राजस्थान का मरू प्रदेश, मालव प्रदेश व विंध्य-श्रंखला तक विस्तार था।

भारत के बड़े भू-भाग की भाषा हिन्दी भाषा है। प्रश्न होता है कि हिन्दी भाषा सम्पूर्ण भारत की भाषा क्यों नहीं बन सकी, हिन्दी भाषा में प्राचीनता एवं सरलता होते हुए राण्ट्रभाषा क्यों नहीं बन सकी,क्या हिन्दी भाषा को सम्पूर्ण भारत की भाषा के रूप में स्थापित किया जा सका है,यदि सम्पूर्ण भारत की भाषा के रूप में स्थापित किया जा सकता है तो कैसे,

उक्त प्रश्नों का उत्तर कठिन हो सकता है,लेकिन असम्भव नहीं। सर्वप्रथम भाषा के हिन्दी नाम का विश्लेषण किया जाय कि हिन्दी भाषा का नाम भारती होना चाहिए। जैसा ि स्पण्ट है कि आक्रमणकारियों व्दारा भरतो की भाषा को हिन्दी नाम दिया गया था। भरतों की भाषा,मानवरिवार की भाषा, भारती थी। देश की भाषा का नाम भारती होना तर्कपूर्ण लगता है। भरतों की भाषा भारती थी। दूसरी बात यह है कि देश की भाषा का नाम उस देश के नाम से प्रतिबिम्बित होता है। जैसे-फ्रांस की फ्रेंच,सोवियत रूस की रूसी, स्पेन क स्पेनिश,जर्मनी की जर्मन आदि। इसलिए देश की भाष का नाम भारती तर्कसंगत लगता है।

दूसरी बात है कि भारत की सभी भाषाओं का प्रयोग परिवार एवं स्थानीय स्तर पर किया जाने लगे तथा अध्ययन एवं विस्त्रित प्रयोग ठेठ हिन्दी में किया जाने लगे। जैसा कि अनेक भाषाओं/बोलियों का प्रयोग परिवार एवं स्थानीय स्तर पर होने के बावजूद वह क्षेत्र हिन्दी भाषी क्षेत्र है। जैसे- राजस्थानी, पर्वतीय भाषा, ब्रजभाषा, बांगरू,कन्नौजिया,बुन्देलखण्डीय,अवधी,बघेली,भोजपुरी,मैथिली, मगधी,मालवी,भीली-संताली आदि। एक भाषा/बोली क्षेत्र का निवासी अन्य भाषा/बोली क्षेत्र में जाता है तो वह ठेठ हिन्दी भाषा का प्रयोग करता है। इस प्रकार हिन्दी क्षेत्र का विस्तार किया जा सकता है। इससे भारत की अनेकता में एकता भी सशक्त होगी

तीसरा समस्त भारत में ठेठ हिन्दी का प्रयोग हो,एवं  अतिआवश्यक दशा में ही अंग्रेजी का प्रयोग हो।

बहती जाती हिन्दी धारा-
अपनी गति से बहती हिन्दी धारा।
जैसे बहती अविरल गंगा धारा।।
आर्यावर्त से निकली हिन्दी भाषा।
सुगम-दुर्गम पथ तय करती यह भाषा।।
नगर-नगर कहती जाती हिन्दी भाषा।
मैं हूँ सरल सुरीली आपकी भाषा।।
मैं तो साथ निभाती जाती सबका।
फिर भी क्यों साथ न पाऊँ अपनों का।।
जितना भी चाहो, जाओ मुझसे दूर।
लौटोगे,रह न पाओगे मुझसे दूर।।
इसीलिए कहता हूँ—-
जन-जन के मन की तुम बात करो।
अपनी हिन्दी का तुम सम्मान करो।।

बहती जाती हिन्दी धारा-

अपनी गति से बहती हिन्दी धारा।

जैसे बहती अविरल गंगा धारा।।

आर्यावर्त से निकली हिन्दी भाषा।

सुगम-दुर्गम पथ तय करती यह भाषा।।

नगर-नगर कहती जाती हिन्दी भाषा।

मैं हूँ सरल सुरीली आपकी भाषा।।

मैं तो साथ निभाती जाती सबका।

फिर भी क्यों साथ न पाऊँ अपनों का।।

जितना भी चाहो, जाओ मुझसे दूर।

लौटोगे,रह न पाओगे मुझसे दूर।।

इसीलिए कहता हूँ—-

जन-जन के मन की तुम बात करो।

अपनी हिन्दी का तुम सम्मान करो।।

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply