Samajik Vedna
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जाग जाओ
मनुज जीवन तो पानी भाँति बहे जा रहा है।
आंधी- अंधड़ हवा के झोंके सहे जा रहा है।।
दिवा-दृगों की तेज तपन में जले जा रहा है।
अज्ञानता बस हबस की आग पिये जा रहा है।।
पाने की आश में सब कुछ खोये जा रहा है।
आत्मा की न सुनकर मनमानी किये जा रहा है।।
कुछ भी न पाओगे और जिन्दगी बीत जायेगी।
बहुत ही पछताओगे जब घड़ी बीत जायेगी।।
कर लो पुनीत कर्म जान-समझ लो जीवन का मर्म।
है एक दिन धरा छोड़ जाना यही है प्रकृति-धर्म।।
भज लो राम-नाम सारा जीवन संवर जायेगा।
रंग लो राम-चरित्र से सारा दुःख निपट जायेगा।।
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