Samajik Vedna
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आई पिया की याद
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रिम-झिम रिम-झिम बरस रही बरखा रानी।
देख के बरखा मदहोश हुई जवानी।।
एक बूँद पानी को तरस रही तरूणी।
जैसे प्यासी सात जनमों की तरूणी।।
पिया की याद में रहती खोई-खोई।
बीते घनेरी रात अध सोई-सोई।।
वो बात करे पायल की झंकारों से।
चकित होती पिया आने की आहट से।।
कहने को खड़े है बड़े-बड़े वृक्ष यहाँ।
पर तुम्हारे बिन वो शीतल छाया कहाँ।।
तड़प रहा मेरा जिया अब आजा पिया।
तुम्हारे मिलन को है बेकरार जिया।।
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