Samajik Vedna
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घर की लक्ष्मी
बड़े भाग्य से हमारे घर लली आई।
मात-पिता कहते फिरें घर लक्ष्मी आई।।
अंगना में चमके-दमके हमार लली।
भाग्य जगे हमारे जो घर आई लली।।
मुँह फुलाये दादी माँ बैठी व्दारे थी।
दादा बोले कभी तुम भी तो लली थी।।
आँखों से कह रही बेटी लेटे पलना।
मुझे पढ़ाना,सुसंस्कारों में ढालना।।
मैं मान-सम्मान करूँ सभी अपनों का।
मुझे मान-सम्मान मिले अपने सभी का।।
मुझको जीवनभर देवी सा मान मिले।
माँ तम्हारा ऐसा आशीर्वाद मिले।।
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